लेखनी कहानी -07-Dec-2021
सुबह की धूप
सुनो मुझे पसंद है सुबह की धूप,
मेरे लिए वो बन पाओगे क्या।
जब भी मुझे लगे हल्की धूप में
साथ बैठकर चाय पी जाए।
तो बना पाओगे क्या,
मुझे पता है तुम हंस रहे हो।
तो ये हँसी छोड़ हकीकत में
बना पाओगे क्या।
प्यार करते हो ना
तो थोड़ा इस तरह से
जता पाओगे क्या,
नए समय की हूँ
तो तुमसे भी उम्मीद रखूंगी
रसोई में हाथ बटा दो।
बोलों बटा पाओगे क्या।
प्यार करते हो ना ऐसे जता
पाओगे क्या,
मुझे सुबह की धूप बहुत पसंद है,
मेरे जिंदगी के सूरज बन पाओगे क्या।
By-Rekha mishra
Abhilasha sahay
08-Dec-2021 07:39 PM
Very nice 👌
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Seema Priyadarshini sahay
08-Dec-2021 06:04 PM
बहुत खूबसूरत रचना
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Swati chourasia
07-Dec-2021 10:43 PM
Very beautiful 👌👌
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