Rekha mishra

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लेखनी कहानी -07-Dec-2021

            सुबह की धूप 

सुनो मुझे पसंद है सुबह की धूप,
मेरे लिए वो बन पाओगे क्या। 
जब भी मुझे लगे  हल्की धूप में 
साथ बैठकर चाय पी जाए। 
तो बना पाओगे क्या, 
मुझे पता है तुम हंस रहे हो। 
तो ये हँसी छोड़ हकीकत में 
बना पाओगे क्या। 
प्यार करते हो ना 
तो थोड़ा इस तरह से 
जता पाओगे क्या, 
नए समय की हूँ 
तो तुमसे भी उम्मीद रखूंगी 
रसोई में हाथ बटा दो। 
बोलों बटा पाओगे क्या। 
प्यार करते हो ना ऐसे जता 
पाओगे क्या, 
मुझे सुबह की धूप बहुत पसंद है,
मेरे जिंदगी के सूरज बन पाओगे क्या। 



By-Rekha mishra 

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5 Comments

Abhilasha sahay

08-Dec-2021 07:39 PM

Very nice 👌

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Seema Priyadarshini sahay

08-Dec-2021 06:04 PM

बहुत खूबसूरत रचना

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Swati chourasia

07-Dec-2021 10:43 PM

Very beautiful 👌👌

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